हिंदी साहित्य मे कई विषय ऐसे हैं जिन पर मुझे लगता है की अपेक्षाकृत कम लेखन हुआ है . चंदन पाण्डेय की कहानी 'सिटी पब्लिक स्कूल ऐसे ही विषय को उठाती है ।
कहानी लंबी होने की पर्याप्त गुंजाईश थी , पर जो भाषा -शैली है उस हिसाब से ठीक ही है (इसका मतलब की इस विषय पर एक कम्प्लीट कहानी शेष है ).कहानी की जो भाषा है कुछ विचार करने पर मजबूर करती है , जैसे कि क्या आने वाला समय इसी तरह कि कहानियों का होगा , कि इस तरह की भाषा से हिंदी साहित्य से नए पाठक जुडेंगे या कुछ पाठक छिटक जायेंगे .जहाँ तक मेरा सवाल है मुझे कहानी का विषय पसंद आया , भाषा भी विषय -वस्तु के हिसाब से ठीक लगी .फिर भी मैं उम्मीद करता हूँ कि इस तरह की कहानी लेखक की रचनाओं मे अपवाद स्वरूप ही रहेंगी अन्यथा मैं इस तरह की कोई कहानी हिंदी की वजाय इंग्लिश मे लिखी हो तो उसे पढना पसंद करुंगा , मेरा ख़याल है कि कहानी मे जहाँ ज्यादा जरूरत हो संवाद इंग्लिश में लिखे जा सकते हैं .
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